Sunday, July 27, 2025
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Homeराज्यउत्तराखंड... तो बाजपुर को बाय-बाय कह सकते हैं यशपाल आर्य

… तो बाजपुर को बाय-बाय कह सकते हैं यशपाल आर्य

  • हल्द्वानी बन सकता है नया ठिकाना, चल रहा है मंथन

एफएनएन, रुद्रपुर : भाजपा का दामन छोड़ कांग्रेस में वापस लौटे पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य बाजपुर विधानसभा को बाय-बाय कह सकते हैं। वजह, किसान आंदोलन को लेकर उनका विरोध और जगतार सिंह बाजवा की कांग्रेस से प्रबल दावेदारी है। किसान आंदोलन में बाजवा एक बड़ा चेहरा बनकर उभरे हैं, ऐसे में इस विधानसभा क्षेत्र से उनकी दावेदारी को लेकर पहले ही कयास लगाए जा रहे थे। कुछ दिन पहले ही इस विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक यशपाल आर्य की कांग्रेस में वापसी से राजनीतिक समीकरण बिगड़ गए। ऐसे में एक-दो दिन पहले यशपाल आर्य का विरोध इन्हीं उलझे समीकरणों से जोड़कर देखा जा रहा है। बाजपुर विधानसभा में किसान निर्णायक भूमिका में हैं, इसीलिए बाजवा की स्थिति यहां से काफी मजबूत है। पिछले चुनाव में भाजपा के टिकट पर लड़े यशपाल से जगतार सिंह भाजपा की पत्नी कुछ ही वोटों के अंतराल से चुनाव हार गई थीं। इस बार स्थिति उलट है।

वहीं यशपाल आर्य के विरोध को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं कि यशपाल बाजपुर छोड़ेंगे या फिर वहीं से चुनाव लड़ेंगे ? अंदर ही अंदर खिचड़ी पक रही है ! चर्चा है कि यशपाल आर्य हल्द्वानी विधानसभा से किस्मत आजमा सकते हैं। वह हल्द्वानी में ही निवास भी करते हैं, ऐसे में पार्टी उनको इस सीट से मौका दे सकती है। हालांकि पूर्व कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस की दिग्गज नेता स्वर्गीय इंदिरा ह्रयदेश के पुत्र सुमित भी यहां से प्रबल दावेदार हैं लेकिन देखना यह होगा कि पार्टी क्या निर्णय लेती है। यशपाल आर्य वरिष्ठ नेता हैं, इसलिए पार्टी के नेताओं का भी मानना है कि वह कहीं से भी चुनाव जीत सकते हैं। बाजपुर में बाजवा की स्थिति मजबूत है, ऐसे में पार्टी उन पर भरोसा करके यशपाल को हल्द्वानी या फिर अन्य किसी सीट से टिकट दे सकती है। सूत्रों की मानें तो यशपाल आर्य के करीबियों ने भी उनको विधानसभा क्षेत्र बदलने की सलाह दे दी है। बाज्पुर सीट पर समीकरण क्या रहेंगे, यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन आज की स्थिति में इस सीट पर यशपाल आर्य का बड़ा विरोध देखा जा रहा है।

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