Tuesday, July 2, 2024
spot_img
spot_img
03
20x12krishanhospitalrudrapur
previous arrow
next arrow
Shadow
Homeराज्यउत्तराखंडहिमालय दिवस की 14वीं वर्षगांठ: टूट रहा पहाड़ का सब्र, चुनौतियां बरकरार,...

हिमालय दिवस की 14वीं वर्षगांठ: टूट रहा पहाड़ का सब्र, चुनौतियां बरकरार, सामूहिक सहभागिता की है दरकार

एफएनएन: इस वर्ष नौ सितंबर को हम हिमालय दिवस की 14वीं वर्षगांठ मनाने जा रहे हैं, लेकिन हिमालय की सुरक्षा से जुड़े तमाम संकल्प आज भी अधूरे हैं। नौ सितंबर 2010 में जब प्रदेश में हिमालय दिवस मानने की शुरूआत हुई थी, सरकार ने भी इसमें रुचि दिखाई, लेकिन बात बहुत आगे नहीं बढ़ पाई।

हिमालय दिवस पर साल-दर-साल लिए गए संकल्प आज भी अधूरे हैं। विशेषज्ञों की मानें तो जब तक हिमालय के प्रति सामूहिक सहभागिता सामने नहीं आएगी, तब तक इन संकल्पों को पूरा नहीं किया जा सकता है। जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों से उत्पन्न आपदाएं एक वैश्विक चिंता के रूप में उभरी हैं, जो जीवन और पारिस्थितिकी तंत्र के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित कर रही हैं।

हिमालय एक प्रतिष्ठित प्राकृतिक खजाना होने के साथ कई देशों के लिए संसाधनों का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी है। प्रदेश में हिमालय दिवस की पहल करने वाले पर्यावरणविद डॉ. अनिल प्रकाश जोशी का कहना है कि हिमालय दिवस की अवधारणा का उद्देश्य इसके पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए जागरूकता और सामूहिक भागीदारी को बढ़ावा देना था, लेकिन अभी हम लक्ष्य से दूर हैं।

हिमालय केवल बर्फ के पहाड़ की शृंखलाभर नहीं…

देश को पानी हवा व मिट्टी की आपूर्ति करने में हिमालय की महत्वपूर्ण भूमिका है तो जैव विविधता का भी यह अमूल्य भंडार है। जोशी के अनुसार, हिमालय केवल बर्फ के पहाड़ की शृंखलाभर नहीं, बल्कि यह स्वयं में एक सभ्यता को समेटे हुए है। ऐसी एक नहीं, अनेक विशिष्टताओं के बावजूद हिमालय और यहां के निवासियों को वह अहमियत अभी तक नहीं मिल पाई, जिसकी अपेक्षा की जाती है।

हिमालय और आपदा थीम पर मनाया जाएगा इस वर्ष हिमालय दिवस

इस बार हिमालय दिवस ””हिमालय और आपदा”” थीम पर मनाया जा रहा है। आपदाओं में दो महत्वपूर्ण हिस्से हैं, जिसमें से एक हिस्सा स्थानीय है, जिसके लिए हम विकास की योजनाओं को दोषी ठहरा सकते हैं। दूसरा हिस्सा धरती पर बढ़ते तापमान का है, जिसका सीधा असर हिमालय के जलवायु परिवर्तन पर पड़ता है। इस बार हिमाचल में आई आपदा और इससे पहले उत्तराखंड में आई आपदाएं इस ओर इशारा करती हैं कि बदलती जलवायु ने हिमालय के तामक्रम में बड़ी चोट की है।

इसलिए मनाया जाता है हिमालय दिवस

प्रदेश में नौ सितंबर 2010 को हिमालय दिवस मनाने की शुरूआत हेस्को के माध्यम से हुई थी। यह दिन हिमालय के महत्व को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है। लोग हिमालय को समझे और उसका आदर करते हुए उसके साथ जिएं, तभी वह सुरक्षित रह सकता है।

हिमालयी क्षेत्र के लिए बने व्यापक नीति

पर्यावरणविद सुरेश भाई का कहना कि हिमालयी क्षेत्र देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के 16.3 प्रतिशत क्षेत्र में विस्तार लिए हुए है। इसके अंतर्गत उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, नागालैंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, त्रिपुरा व मिजोरम और केंद्र शासित राज्य लद्दाख व जम्मू-कश्मीर हैं। हिमालय सबकी आवश्यकता है। यह ठीक रहेगा तो सभी के हित सुरक्षित रहेंगे। इसी दृष्टिकोण के आधार पर हिमालय क्षेत्रों के लिए व्यापक नीति बनाने पर जोर दिया जा रहा है।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments